Secretariat staff collect data that document economic and/or technological trends and problems. प्रथम स्तर राजनीतिक है । इसीलिये सर्वोच्च है । इस तल पर मंत्रालय का राजनीतिक अध्यक्ष होता है जिसे मंत्री कहते हैं । ये भी तीन स्तर के होते है- कैबीनेट मंत्री, राज्य मंत्री और उपमंत्री । कभी-कभी संसदीय सचिव जैसा चौथा स्तर भी रखा जाता है । संसदीय सचिव भी किसी विभाग में कैबिनेट मंत्री नहीं रखते हैं और राज्यमंत्री को ही स्वतंत्र प्रभार में मंत्रालय सौंप दिया जाता है ।, 2. Parcourir mots et des phrases milions dans toutes les langues. Functions under the first category include seeing of all papers or notes arranged and paged with correct marginal references. आर. Additionally, it establishes that SIECA has the capacity to make proposals on economic integration topics. शहरी विकास और निर्धनता उन्मुलन मंत्रालय, 54. The Central Secretariat is a policy making body of the government and is not, to undertake work of execution, unless necessitated by the lack of official agencies to perform certain tasks. केंद्र सरकार का अर्थ (Meaning of Central Secretariat) 2. भारत सरकार में सचिव की भूमिकाएं निम्नलिखित हैं: (i) वह मंत्रालय/विभाग का प्रशासनिक प्रमुख होता है । इस संदर्भ में उसकी जिम्मेदारियों पूर्ण और अविभाजित हैं ।, (ii) वह नीतिगत और प्रशासनिक मामलों के सभी पहलुओं पर मंत्री का प्रमुख सलाहकार होता है ।, (iii) वह, संसदीय लोक लेखा समिति के समक्ष अपने मंत्रालय/विभाग का प्रतिनिधित्व करता है ।, सरकार की मशीनरी (तंत्र) के पुनर्गठन से संबंधित गोपालास्वामी आयंगर रिपोर्ट, (1949) में बताया गया है कि ”सचिव को फाइलों के दैनिक निपटान में नहीं लगा रहना चाहिए अपितु उसे पूरे परिदृश्य को ध्यान में रखते हुए अपने प्रभार से संबद्ध सरकारी समस्यायों का आकलन कर कार्य योजना बनानी चाहिए ।”, भारत सरकार की मशीनरी और कार्यपद्धति से संबंधित प्रशासनिक सुधार आयोग की रिपोर्ट (1968) के अनुसार सचिव की भूमिका – ”एक समन्वयक, नीति निर्देशक, समीक्षक और मूल्यांकनकर्ता की होनी चाहिए ।”, अपर सचिव किसी विभाग अथवा विभाग के किसी स्कंध (विंग) का प्रभारी होता है । दूसरी ओर संयुक्त सचिव किसी विभाग के स्कंध का प्रभारी होता है । संयुक्त सचिव का दर्जा और वेतन अपर सचिव से कम होता है क्योंकि अपर सचिव संयुक्त सचिव से वरिष्ठ होता है ।, कुल मिलाकर इन दोनों अधिकारियों के कार्यों में अपर सचिव यदि किसी विभाग का प्रभारी नहीं है तो कोई अधिक अंतर नहीं है । केंद्र सरकार के पुनर्गठन पर रिचर्ड टोटनहम की रिपोर्ट (1945) में यह उल्लेख है कि ”अपर सचिवों और संयुक्त सचिवों को न ही सस्ता सचिव और न ही अधिक खर्चीला उपसचिव होना चाहिए ।”, निदेशक का पद वर्ष 1960 में सृजित हुआ था । एस. नीतियों की व्याख्या करना, नीतियों में समन्वय लाना ।, 8. केंद्र सरकार – भूमिका और कार्य (Central Secretariat – Role and Functions) 6. इन दोनों के मध्य तालमेल बनाए रखने के लिए 6 सैद्धांतिक व्यवस्थाएँ की गई हैं: इस प्रतिरूप के तहत, सचिवालय और इसकी कार्यकारी एजेंसियों के मध्य पूर्ण अलगाव होता है । दोनों के अलग-अलग कार्यालय और फाइलें होती हैं । यह सर्वाधिक प्रचलित प्रतिरूप है तथा नीति प्रशासन अलगाव (अलगाव प्रणार्ला/विभेदन प्रणाली) अर्थात स्टाँफलाइन और सामान्य विशेषज्ञ अलगाव प्रणाली पर आधारित है ।, इस प्रतिरूप में सचिवालय और इसकी कार्यकारी एजेंसियों के मध्य किसी प्रकार के अलगाव की स्थिति नहीं होती है अर्थात पूर्णतः (शत-प्रतिशत) एक होती हैं । पूर्णतः विलयन के इस मॉडल का प्रयोग कुछ ही मामलों में किया जाता है ।, इस प्रतिरूप में सचिवालय के किसी वरिष्ठ अधिकारी को कार्यकारी एजेंसी का प्रमुख नियुक्त किया जाता है । इस अधिकारी को लिंक अधिकारी कहते हैं जिसकी दोहरी भूमिका होती है-नीति निरूपण की तथा उसे कार्यान्वित करने की ।, इसमें किसी कार्यकारी एजेंसी के प्रमुख को सचिवालय का पदेन पद दिया जाता है । उसे कुछ मामलों पर स्वयं स्वतंत्र रूप से निर्णय लेने का अधिकार होता है । नीति निर्धारण कार्य में भी उसकी भूमिका होती है ।, इस प्रतिरूप के अंतर्गत सचिवालय तथा कार्यकारी एजेंसी का एक ही कार्यालय होता है एक समान फाइलें होती हैं तथा समान फाइल ब्यूरो होता है । इसे समान कार्यालय में सचिवालय तथा कार्यकारी एजेंसी दोनों के अधिकारी बैठते है । प्राक्कलन समिति तथा द्वितीय वेतन आयोग ने इस प्रतिरूप की अनुशंसा की थी ।, इसमें सचिवालय तथा कार्यकारी एजेंसियों के कार्यालय अलग-अलग होते हैं, किंतु फाइलें और फाइल ब्यूरो एक ही होते हैं । रॉलैंड्‌स समिति (बंगाल एडमिनिस्ट्रेशन इन्क्वायरी समिति) 1944-45 ने इस प्रतिमान (पैटर्न) की अनुशंसा की थी ।, यहाँ यह भी उल्लेखनीय है कि प्रशासनिक सुधार आयोग ने अपनी रिपोर्ट (1968) में सचिवालय और कार्यकारी एजेंसियों के मध्य भेद को समाप्त करने की सिफारिश नहीं की थी अपितु यह सुझाव दिया था कि विकास कार्यक्रमों से जुड़ी कार्यकारी एजेंसियों को ही संबद्ध मंत्रालय के सचिवालय में विलोपित किया जाए तथा अन्य सभी मामलों में इन दोनों के भेद बनाए रखना चाहिए ।. मंत्रालय केंद्र का हो या राज्य का एक त्रिस्तरीय संरचना होती है: 1. He is also empowered to impose all penalties under CCS (CCA) Rule 11 in respect of Senior Secretariat Assistant and Junior Secretariat Assistant of Central Secretariat Clerical Services (CSCS) employees under the Administrative Control of Deptt. उसके अध्ययन के आधार पर आयोग ने ”मेज अधिकारी प्रणाली” के संबंध में निम्नलिखित सुझाव दिये थे: 1. The secretariat handles newsletter publication for organization employees and the general public. ocol.gc.ca . 4. शासन में श्री विक्रम सिसोदिया को इस पद पर नियुक्त किया गया जो इतने शक्तिशाली है कि कहा जाता है कि शासन मुख्यमंत्री नहीं ओ.एस.डी. एमरी द्वारा उनकी अपनी ही पुस्तक थाट्स ऑन द काँस्टीट्‌यूशन में बेहतर ढंग से किया गया है ।, उनका कहना है कि ”दिन-प्रतिदिन के कार्य अत्यावश्यक होते हैं बजाय इसके कि आगामी वर्ष में होने वाली घटनाओं पर गंभीरता से विचार किया जाए जिगपें बौद्धिक प्रयास की जरूरत कम और कभी-कभी बिल्कुल नहीं होती । एक अलग नीति विभाग और सामान्य स्टॉफ की जिन पर कोई प्रशासनिक नियंत्रण न हो व्यवस्था किए जाने पर ही दूरदृष्टिपूर्ण और प्रभावी नियोजन कार्य संभव है ।”. 1985 – 1996 Legal expert of a parliamentary group. अंतरिक संरचना का प्रारूप (Format of Internal Structure): प्रत्येक मंत्रालय एक या अधिक विभागों का समूह होता है । प्रत्येक विभाग का एक पृथक् सचिव होता है । जिसके अधीन अपर और विशेष सचिव होते हैं । काम अधिक होने पर संयुक्त सचिव नियुक्त कर दिया जाता है । विभाग स्कन्धों (संभाग) में विभाजित रहते हैं जो संयुक्त या अपर सचिव के अधीन रखे जाते हैं ।, स्कन्ध पुन: प्रभागों में उपसचिव के अधीन विभाजित रहते हैं । प्रत्येक विभाग कुछ विशिष्ट शाखाओं में बंटा होता है जिनका प्रमुख अवर सचिव होता है । प्रत्येक शाखा अनुभागों में विभक्त रहती है- अनुभाग अधिकारी के अधीन ।, अनुभाग लिपिकों का कार्यालय है जिसमें उच्च श्रेणी लिपिक, निम्न श्रेणी लिपिक, टाइपिस्ट आदि कार्य करते हैं । अनुभाग को कार्यालय भी कहा जाता है । अनुभाग सचिवालय का सबसे निम्न स्तर होता है ।, उपरोक्त अधिकारियों में सचिव, संयुक्त सचिव, अपर सचिव, उप सचिव आदि भारतीय प्रशासनिक सेवा या राज्य प्रशासन सेवा या केन्द्रीय ‘क’ समूह सेवा के सदस्य होते हैं जो पदावधि प्रणाली (Tenure System) के आधार पर राज्य काडरों या केन्द्रीय सेवाओं से एक सीमित अवधि (सामान्यतया 3 वर्ष) के लिए सचिवालय में पदस्थ किये जाते हैं । इस पद्धति की शुरूआत लार्ड कर्जन ने 1905 में की थी ।, 1957 से इस हेतु ”सेन्ट्रल स्टाफिंग स्कीम” लागू की गयी है जो पदावधि की देखरेख करती है विशेषकर उपसचिव से ऊपर के स्तर के अधिकारियों की नियुक्ति के संदर्भ में । सार्वजनिक उद्यमों से भी अधिकारियों की नियुक्ति संबंधित विभागों के उच्च पदों पर होती है । इस प्रकार केन्द्रीय सचिवालयीन सेवा के अधिकारी ही इस सचिवालय के मूल अधिकारी होते हैं ।, केन्द्रीय सचिवालय विपाटन प्रणाली की उपज है । इस प्रणाली का आधार है- नीति निर्माण का नीति क्रियान्वयन से पृथक्करण । यह प्रणाली सचिवालय (जो मंत्री के परामर्श रूप में होता है) को मात्र नीति निर्माण से संबंधित कर उसे नीति क्रियान्वयन के दायित्व से पूर्णत: अलग रखती है ।, इसके अनुसार सचिवालय मात्र नीति निर्माण पर ध्यान दे और नीति क्रियान्वयन सचिवालय के बाहर स्थित निष्पादन विभाग और उसकी कार्यपालक एंजेन्सियां करें । वस्तुत: भारत ने सचिवालय संरचना में ब्रिटिश व्हाइटहाल मॉडल अपनाया लेकिन जहां ब्रिटेन में नीति निर्माण और नीति क्रियान्वयन दोनों सचिवालय की जिम्मेदारी है वहीं भारत में सचिवालय को मात्र नीति निर्माण से संबंधित किया गया है ।, संविधान पर विचार नामक पुस्तक में एल.एस. since June 1998 and functions as a "single window" for DMs and ADMs to [...] facilitate the collective management of ADMs. Trend Tracking. केंद्र सरकार के मंत्रालय विशेष की संरचना तीन स्तरीय है अर्थात: (i) एक राजनीतिक प्रमुख अर्थात कैबिनेट मंत्री जिसकी सहायतार्थ राज्यमंत्री और उपमंत्री होते हैं । किंतु कभी-कभी राज्यमंत्री भी स्वतंत्र प्रभार में मंत्रालय/विभाग का राजनीतिक प्रमुख होता है; (ii) सचिव की अध्यक्षता में सचिवालय संगठन/सचिव लोकसेवक होता है ।. सचिवालय के कार्यालय कर्मचारियों में निम्नलिखित कार्मिक शामिल है: अनुभाग का प्रमुख होता है तथा अनुभाग के सभी कार्मिकों और अवर सचिव के मध्य संपर्क बनाए रखता है । अनुभाग अधिकारी का मुख्य कार्य अपने अनुभाग के कार्मिकों के कार्य का पर्यवेक्षण करना है । अनुभाग अधिकारी सचिवालय कार्मिक के पदक्रम की दृष्टि से पहली पंक्ति का पर्यवेक्षक है ।. लघु उद्योग तथा सूक्ष्म और मध्यम उद्योग मंत्रालय, 31. modelgroup.com Requêtes en cours : petites et moyennes entreprises , when needed , pouvoir , at length , en quelques chiffres , lost revenue , de manière générale , out of the blue , base de travail , closely linked , congélateur , boxer , montrer , representative , mauvaise volonté The Central Secretariat is a collection of various ministries and departments. (3) Sect oral planning and programme formulation. यह ब्रिटिश कालीन विरासत है । इसकी स्थापना के 230 वर्ष हो चुके हैं इस दौरान इसमें निरन्तर परिवर्तन होते रहे, विशेषकर विभागों के गठन और विघटन से तथा कार्यपद्धति में सुधार के कारण । यह भारत सरकार मुख्य कार्यालय है जहां देश की नीतियों का निर्माण होता है और उनके क्रियान्वयन के आदेश जारी होते हैं ।. 1. A ministry is the charge allotted to ministers. कार्यकाल प्रणाली के समर्थन में निम्नलिखित तर्क प्रस्तुत किए गए हैं: (i) इस प्रणाली द्वारा केंद्र और राज्यों के बीच प्रशासनिक तालमेल बनाए रखा जा सकता है और इस प्रकार भारतीय संघीय शासनतंत्र को मजबूती प्रदान की जा सकती है ।, (ii) इस प्रणाली के द्वारा केंद्रीय सचिवालय में उन अधिकारियों की नियुक्ति की जा सकती है जिन्हें जिला प्रशासन या क्षेत्र प्रशासन का ही अनुभव प्राप्त होता है ।, (iii) इससे राज्य सरकार के अधिकारियों को राष्ट्रीय स्तर पर बेहतर अनुभव मिलता है ।, (iv) इससे उन सभी अधिकारियों को समान अवसर प्राप्त होता है जो सचिवालय में निर्धारित अवधि तक तैनात रहने के अधिकारी हैं ।, (v) इससे राष्ट्र की प्रशासनिक एकता तथा लोकसेवा की स्वतंत्रता की रक्षा होगी ।, परंतु कार्यकाल प्रणाली से ‘कार्यालय अभिमुख प्रशासन’ और ‘अति-नौकरशाहीकरण’ का सूत्रपात हुआ है । सचिवालय में तैनात नया अधिकारी कार्य निष्पादन के लिए स्थायी शासकीय व्यवस्था पर निर्भर रहता है ।, आज कार्यकाल प्रणाली की स्थिति उतनी मजबूत नहीं है जितनी स्वतंत्रता प्राप्ति से पहले थी ।. 2. इस संदर्भ में प्रशासनिक जांच समिति (1948) का रिपोर्ट में कहा गया था: ”सरकारी संगठन में सचिवालय के अस्तित्व का सूत्रपात नीतिगत विषयों’प्रश्नों को वर्तमान प्रशासन से अलग करने की आवश्यकता के तथ्य से हुआ है ताकि नीतिगत विषयों को पूर्णतया किसी ऐसी अलग एजेंसी को सौंप दिया जाए जिसे कार्यपालन के क्षेत्र में कुछ हद तक आजादी प्राप्त हो ।”, (i) इससे सचिवालय कर्मी (नीति निर्माता) को नीति नियोजन कार्य में राष्ट्रीय हित लक्ष्यों और अपेक्षाओं के संबंध में सहायता मिलती है । ऐसा इसलिए है कि वे दिन-प्रतिदिन की प्रशासनिक जिम्मेदारियों से मुक्त हैं ।, (ii) इस प्रणाली की सहायता से सचिव उन प्रस्तावों की जाँच सरकार के विस्तृत दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए निष्पक्ष रूप से कर सकता है जिन्हें कार्यपालक एजेंसियों ने तैयार किया है । ऐसा इसलिए है कि सचिव समग्र रूप से सरकार का सचिव होता है न कि मंत्री मात्र का सचिव ।, (iii) इस प्रणाली से कार्यपालक एजेंसियों को नीतियों को कार्यान्वित करने की आजादी मिलती है क्योंकि इस प्रणाली के तहत सचिव को नीति कार्यान्वयन के कार्य में दखल नहीं देना होता अपितु स्वयं को नीति निर्माण कार्य तक ही सीमित रखना होता है । इस प्रकार, यह प्रणाली प्राधिकारों के विशिष्टीकरण और प्रत्यायोजन को प्रोत्साहित करती है तथा अति विकेंद्रीयकरण को दूर रखती है ।, (iv) इस प्रणाली के द्वारा कार्यों का बंटवारा दो अलग-अलग एजेंसियों में करके सचिवालय के आकार को प्रबंधन की दृष्टि से छोटा करने में मदद मिलती है ।, (v) कार्यक्षेत्र में कार्यक्रम कार्यान्वयन का निष्पक्ष मूल्यांकन सचिवालय कर्मियों द्वारा किया जा सकता है । इस कार्य की जिम्मेदारी कार्यक्रम कार्यान्वयन एजेंसियों को नहीं सौंपी जा सकती । इस संदर्भ में भारतीय सचिवालय का मॉडल ब्रिटिश व्हाइटहॉल के मॉडल से भिन्न है । ब्रिटेन में हर मंत्रालय नीति निर्माण और नीति कार्यान्वयन दोनों के लिए उत्तरदायी है ।, अवस्थी बंधुओं के अनुसार – ”भारत में सचिवालय को अद्वितीय कहा जा सकता है । यद्यपि भारतीय सचिवालय ने ब्रिटेन के व्हाइटहॉल के मॉडल को अपनाया है किंतु यह ब्रिटेन के सचिवालय का वास्तविक रूप नहीं ले सका है । भारत में दो समानांतर पदक्रम हैं- एक सचिवालय में तथा दूसरा कार्यपालक विभागों के प्रमुख के अंतर्गत किंतु ब्रिटेन में ऐसी भिन्नता नहीं है जहां मंत्रालय को ही नीति निर्धारण और नीति कार्यान्वयन का कार्य सौंपा गया है ।”, सचिवालय कार्मिक एजेंसी है । इसका कार्य भारत सरकार को उसकी जिम्मेदारियों और कर्तव्यों के निर्वहन में सहयोग और सहायता करना है । यह सरकार के लिए सूचना के भंडार स्वरूप है जो विगत की कार्यवाहीयों और कार्यों के प्रकाश में भावी नीतियों उभरती समस्याओं और वर्तमान कार्यकलापों के जाँच कार्य में सरकार की सहायता करता है । किसी विषय पर सरकारी स्तर पर लिए जाने वाले निर्णय से पहले विषय की विस्तृत जांच परख का काम सचिवालय द्वारा किया जाता है ।. 23. सचिवालय के कर्मचारी वर्ग के कार्मिक निम्नलिखित दोनों सेवाओं से आते हैं: (i) केंद्रीय सचिवालय आशुलिपिक सेवा, जिसमें पांच ग्रेड हैं- बरिष्ठ प्रमुख निजी सचिव का ग्रेड निजी सचिव का ग्रेड, ग्रेड ए+बी (आमेलित), ग्रेड सी, ग्रेड डी ।, (ii) केंद्रीय सचिवालय लिपिकीय सेवा जिसमें दो ग्रेड हैं- उच्च श्रेणी (लिपिक) ग्रेड, अवर श्रेणी (लिपिक) ग्रेड ।, वर्ष 1976 से कर्मचारी चयन आयोग अवर श्रेणी लिपिकों की सीधी भर्ती के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं का आयोजन करता आ रहा है । उच्च श्रेणी लिपिक पदों को सीधी भर्ती द्वारा नहीं भरा जाता है । इन पदों को अवर श्रेणी लिपिकों को प्रोन्नत कर भरा जाता है । अनुभाग अधिकारी तथा सहायक अनुभाग अधिकारी के पदों में से कुछ पदों का प्रतियोगी परीक्षा के आधार पर सीधी भर्ती द्वारा और कुछ को अधीनस्थ कार्मिकों की प्रोन्तित द्वारा भरा जाता है ।, डेस्क अधिकारी प्रणाली की शुरुआत से वर्ष 1973 में केंद्र सरकार के मंत्रालयों/विभागों की कार्यपद्धति में बदलाव-सा आ गया था । यह प्रशासनिक सुधार आयोग के तहत देशमुख अध्ययन दल की सिफारिशों के आधार पर किया गया था । इस प्रणाली की शुरूआत ब्रिटिश व्हाइटहॉल प्रणाली की तर्ज पर की गई थी ।, इस नई प्रणाली के अंतर्गत किसी मंत्रालय के सबसे निचले स्तर के कार्य को अलग-अलग डेस्कों में व्यवस्थित किया गया है । प्रत्येक डेस्क में दो अधिकारियों अर्थात एक अवर सचिव और एक अनुभाग अधिकारी या एक अनुभाग अधिकारी और एक सहायक अनुभाग अधिकारी या दो अनुभाग अधिकारियों को पदस्थ किया जाता है ।, प्रत्येक अधिकारी को डेस्क अधिकारी कहा जाता है जिनकी सहायतार्थ आशुलिपिक/लिपिक उपलब्ध होते हैं । डेस्क अधिकारी मामलों को स्वयं निक्टाता है तथा नीति से जुड़े महत्वपूर्ण मामलों के निपटान हेतु उच्च अधिकारियों को प्रस्तुत करता है ।. पर्याप्त संख्या में आशुलिपिकीय और लिपिकीय सहायता का प्रावधान ।, तदनुरूप भारत सरकार ने 1973 में अपने मंत्रालयों-विभागों में ”मेज अधिकारी प्रणाली” को लागू किया । वस्तुत: यह ब्रिटेन की ”व्हाइट हाल प्रणाली” पर आधारित है ।, इस नई प्रणाली के अंतर्गत किसी मंत्रालय के सबसे निचले स्तर के कार्य को अलग-अलग डेस्कों में व्यवस्थित किया गया है । प्रत्येक डेस्क में दो अधिकारियों अर्थात एक अवर सचिव और एक अनुभाग अधिकारी या एक अनुभाग अधिकारी और एक सहायक अनुभाग अधिकारी या दो अनुभाग अधिकारियों को पदस्थ किया जाता है ।, प्रत्येक अधिकारी को डेस्क अधिकारी कहा जाता है जिनकी सहायतार्थ आशुलिपिक या लिपिक उपलब्ध होते है । डेस्क अधिकारी मामलों को स्वयं निपटाता है तथा नीति से जुड़े महत्वपूर्ण मामलों के निपटान हेतु उच्च अधिकारियों को प्रस्तुत करता है ।. Before independence the Viceroy’s executive council used to perform the functions of distributing and setting various executive activities to be performed by different departments of the government. Staff members conduct research on a regular basis. ब्रिटिश शासनकाल में गठित निम्नलिखित समितियों और आयोगों ने कार्यकाल प्रणाली का समर्थन किया था: (i) लेवेलिन स्मिथ समिति (1919) – गवर्नमेंट ऑफ इंडिया सेक्रेटरिएट प्रोसीजर कमेटी की रिपोर्ट, (ii) साइमन कमीशन (1930) – इंडियन स्टेचुरी कमीशन की रिपोर्ट, (iii) व्हीलर समिति (1936) – गवर्नमेट ऑफ इंडिया सेक्रेटरिएट कमेटी की रिपोर्ट, (iv) मैक्सवेल समिति (1937) – रिपोर्ट ऑन आर्गनाइजेशन एंड प्रोसीजर, (v) रॉलैंड्‌स समिति (1944-45) – बंगाल एडमिनिस्ट्रेटिव इंक्वायरी कमेटी, हाल ही में प्रशासनिक सुधार आयोग के अध्ययन दल ने केंद्रीय सचिवालय में (राज्य सचिवालयों में भी) कार्मिक प्रशासन से संबंधित कर्मचारियों के कार्यकाल की प्रणाली का समर्थन किया है ।.